दशहरा विजयादशमी पर कविता Dussehra Kavita Hindi Vijay Dashami Poem Kagaz Ke Rawan Mat Funko Kavita : Rkalert.in परिवार की तरफ से दशहरे की आपको और आपके परिवार की हार्दिक बधाई | दशहरा पर हम कागज़ के रावण को जलाते है | इस कागज़ रूपी रावण को जलाने की बजाय अपने मनरूपी अहकार को जलाये | ताकि अपना मन सुद्ध रहे और दूसरो के प्रति जो हमारा अहंकार है वह ख़त्म हो जाये | इस लिए हम आपके लिए लेकर आये है ऐसी कुछ कविताओं [ Dussehra Kavita Hindi ] का संग्रह जो आप को इस दशहरे पर अपने दोस्तों को भेज या शेयर सकते है और पढ़ सकते है |
Vijayadashami Poem in Hindi दशहरा पर कविता
Contents
विजयदशमी का त्यौहार अड़े ही उत्साहपूर्वक श्रद्धा के साथ मनाया जाता है | इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था तब से भगवान श्रीराम की इस विजय स्मृति को विजयादशमी के पर्व के रूप में मनाते है | विजयदशमी को लोग दशहरा के नाम से भी जानते हैं | और इस पावन पर्व पर स्कूल व कॉलेज विद्यार्थियों के लिए विजयादशमी पर कविता Vijayadashami Poem in Hindi Vijayadashami Kavita दशहरा पर कविता Dussehra Poem in Hindi लेकर आये है |
सत्य की जीत दशहरे पर कविता – Dussehra Kavita Hindi
दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत।
गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत॥
सच्चाई की राह पर लाख बिछे हों शूल।
बिना रुके चलते रहें शूल बनेंगे फूल॥
क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली अत्याचार
दगा, द्वेष, अन्याय, छल, रावण का परिवार॥
राम चिरंतन चेतना, राम सनातन सत्य।
रावण वैर-विकार है, रावण है दुष्कृत्य॥
वर्तमान का दशानन, यानी भ्रष्टाचार।
दशहरा पर करें, हम इसका संहार॥
हैप्पी दशहरा कविता Happy Dussehra Poems in Hindi
बुराई पर अच्छाई की जीत
झूठ पर सच्चाई की जीत
अहम् ना करो गुणों पर
यही है इस दिवस की सिख
राम नाम का जप करे
ये अहंकार विनाशकारी है
जिसने रावण का विनास किया
वही अयोध्या वासी श्रीराम है ||
हर त्यौहार जीवन में लाता है बहार
ईश्वर के दर पर मनुष्य की है दरकार
करो जीवन में सब का आदर सत्कार
बधाई हो दशहरे के इस त्यौहार की ||
रावण जैसे अधर्मी का करके विनास
भगवान् श्रीराम ने फैलाया राम राज़
करो सब मिलकर प्रतिज्ञा की
बुराई को करेंगे ख़त्म
और इन्द्रियों पर करेंगे अपना राज़ ||
बुराई का यह रूप अब भ्रष्टाचार है
रावण के रूप में अब नेताओं का अत्याचार है
देश रूपी इस लंका में कौन श्रीराम बनेगा
यहाँ तो अब सब मिलावटी अत्याचार ||
पावन दशहरा आ गया Pawan Dashara Aa Gaya Hindi Kavita
फिर हमें संदेश देने आ गया पावन दशहरा
संकटों का तम घनेरा हो न आकुल मन ये तेरा
संकटों के तम छटेंगें होगा फिर सुंदर सवेरा ||
धैर्य का तू ले सहारा द्वेष हो कितना भी गहरा
हो न कलुषित मन यह तेरा फिर से टूटे दिल मिलेंगें
होगा जब प्रेमी चितेरा फिर हमें संदेश देने आ गया पावन दशहरा ||
बन शमी का पात प्यारा सत्य हो कितना प्रताड़ित
रूप उसका और निखरे हो नहीं सकता पराजित
धर्म ने हर बार टेरा फिर हमें संदेश देने आ गया पावन दशहरा ||
काग़ज़ के रावण मत फूँको Kagaz Ke Rawan Mat Funko Kavita in Hindi
अर्थ हमारे व्यर्थ हो रहे, पापी पुतले अकड़ खड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों, ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं
कुंभकर्ण तो मदहोशी हैं मेघनाथ भी निर्दोषी है
अरे तमाशा देखने वालों इनसे बढ़कर हम दोषी हैं
अनाचार में घिरती नारी हाँ दहेज की भी लाचारी
बदलो सभी रिवाज पुराने जो घर-घर में आज अड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं
सड़कों पर कितने खर-दूषण झपट ले रहे औरों का धन
मायावी मारीच दौड़ते और दुखाते हैं सब का मन
सोने के मृग-सी है छलना दूभर हो गया पेट का पलना
गोदामों के बाहर कितने मकरध्वजों के जाल खड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं
लखनलाल ने सुनो ताड़का आसमान पर स्वयं चढ़ा दी
भाई के हाथों भाई के राम राज्य की अब बरबादी
हत्या चोरी राहजनी है यह युग की तस्वीर बनी है
न्याय व्यवस्था में कमज़ोरी आतंकों के स्वर तगड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं
बाली जैसे कई छलावे आज हिलाते सिंहासन को
अहिरावण आतंक मचाता भय लगता है अनुशासन को
खड़ा विभीषण सोच रहा है अपना ही सर नोच रहा है-
नेताओं के महाकुंभ में सेवा नहीं प्रपंच बड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं