Krishna Janmashtami Poem 2023 Kavita in Hindi जन्माष्टमी पर कविता भगवान कृष्ण पर कविताएं हिंदी में

  • 07-09-2023
  • Anil Saini

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जन्माष्टमी पर्व का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व माना गया है | इस पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जता है | जन्माष्टमी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे बहुत नाम है जैसे कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री कृष्णा जयंती आदि | वर्ष 2023 में जन्माष्टमी 6 सितम्बर को मनाई जाएगी | भगवान श्री कृषण के रूपों, नाम व बाल लीला को जन्माष्टमी कविता Krishna Janmashtami Poem भगवान कृष्ण पर कविताएं में दर्शाया है |

Krishna Janmashtami Kavita Poem in Hindi जन्माष्टमी पर कविता

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इसके अलावा हमने इस पेज पर कुछ भगवान कृष्ण पर छंद और कृष्ण पर श्लोक भी प्रदान किये है जो निचे इस आर्टिकल में उपलब्ध है | दोस्त आप ये जन्माष्टमी पर कविता हिंदी, मराठी, तेलगु, गुजराती, बंगालीआदि में भी डाउनलोड कर सकते है |

भगवान कृष्ण पर कविता जन्माष्टमी पर कविता Janmashtami Poem in Hindi

कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!

प्रेम का सागर लिखूं! या चेतना का चिंतन लिखूं
प्रीति की गागर लिखूं या आत्मा का मंथन लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं

ज्ञानियों का गुंथन लिखूं या गाय का ग्वाला लिखूं
कंस के लिए विष लिखूं या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं!

पृथ्वी का मानव लिखूं या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं
चेतना चिंतक लिखूं या संतृप्त देवेश्वर लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं

जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं
देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं

गोपियों का प्रिय लिखूं या राधा का प्रियतम लिखूं
रुक्मणि का श्री लिखूं या सत्यभामा का श्रीतम लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं

देवकी का नंदन लिखूं या यशोदा का लाल लिखूं
वासुदेव का तनय लिखूं या नंद का गोपाल लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं

नदियों-सा बहता लिखूं या सागर-सा गहरा लिखूं
झरनों-सा झरता लिखूं या प्रकृति का चेहरा लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं

आत्मतत्व चिंतन लिखूं या प्राणेश्वर परमात्मा लिखूं
स्थिर चित्त योगी लिखूं या यताति सर्वात्मा लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं

कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं

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कृष्ण जन्माष्टमी कविता | कान्हा पर कविता | कृष्ण जन्म पर कविता | जन्माष्टमी पर कविता 2023

हर गली हर मुंडेर हर छप्पर हर नुक्कड़ पर
आज शोर है, माखन चोर नंद किशोर का
जन्मोत्सव है, जय जयकारा का लगा है नारा
लाडला कन्हैया बड़ा है प्यारा

हर चैनल ‘लाइव’ दिखाता है
घर बैठे मथुरा, काशी, दिल्ली-मुंबई
की सैर कराता है इस्कान से लेकर
बिड़ला मंदिर तक की कथा

सुनाता है, दिखाता है भइया कलयुग है
कितनों का व्यापार टिका, कितनों को काम मिला है
सजी मिठाइयों की दुकानें, चमचम करते रसगुल्ले
पेड़े, कलाकंद, बालूशाही, सबसे प्यारी रसमलाई

कितनों ने तो व्रत रखा है, चलो एक दिन नहीं खायेंगे
प्रभु स्तुति में रम जायेंगे, अपना-अपना सोचना है
बोना है और काटना है, इसी बहाने सभी रमे
कृष्ण भक्ति में लगे हैं

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श्री कृष्ण जन्म पर कविता | जन्माष्टमी पर हिंदी कविता | भगवान कृष्ण पर कविताएं

नैन लख्यो जब कुंजन तैं, बनि कै निकस्यो मटक्यो री
सोहत कैसे हरा टटकौ, सिर तैसो किरीट लसै लटक्यो री
को ‘रसखान कहै अटक्यो, हटक्यो ब्रजलोग फिरैं भटक्यो री
रूप अनूपम वा नट को, हियरे अटक्यो, अटक्यो, अटक्यो री
॥ जय जय श्री राधे !

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Janmashtami Poem In Hindi | Poem on Janmashtami | कृष्ण की कविता

Krishna Janmashtami Kavita | कृष्ण प्रेम पर कविता | कृष्ण सौंदर्य पर कविता

तेरे प्रेम के सहारे, मेरी साँस अब चलेगी
जो तू नहीं तो कान्हा, ये प्राण भी न होंगे

हम तो तेरे दीवाने , तेरे प्रेम के पुजारी
तेरे लिए जिए हैं, तेरे लिए जिएँगे

मेरी बाँह अब पकड़ लो, मुझे प्रेम से जकड़ लो
ये प्रेम की डगर पे, जो चल पड़े कदम हैं

तेरी शपथ है बाँके, ये अब तो न रुकेंगे नैन
लख्यो जब कुंजन तैं, बनि कै निकस्यो मटक्यो री

सोहत कैसे हरा टटकौ, सिर तैसो किरीट लसै लटक्यो री
को ‘रसखान कहै अटक्यो, हटक्यो ब्रजलोग फिरैं भटक्यो री

रूप अनूपम वा नट को, हियरे अटक्यो अटक्यो, अटक्यो र

॥ जय जय श्री राधे !

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता | बाल कृष्ण पर कविता | श्री कृष्ण जी पर कविता

नन्हे कन्हैया छोटी दंतिया दिखाए
पग घुंघरू बजाए प्यारी मुरली सुनाये

मोर पंख मस्तक पर सुन्दर सजाये
दूध दही सम्भालो मटकी फोड़न को आये

कदंब के झूलों में वृन्दावन की गलियों में
कन्हैया को ढूँढ़ते माँ यशोदा खूब बौराए

गोवर्धन उठाने को गोपियों संग महारास को
कालिया के मर्दन को कंस के संहार को

गीता के पाठ को घर घर गुंजाने को
कन्हैया छिप छिप के आये

कन्हैया मंद मंद मुस्काये
कन्हैया जग में हैं आए
कन्हैया कण कण समाये

Krishna Janmashtami Vrat Ke Niyam Fast Rules देखे खाने-पिने में क्या उपयोग में ले

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं 

जन्माष्टमी पर प्यारी सी कविता Poem On Janmashtami In Hindi कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता

कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता = मेरे घर भी आना कान्हा

तरसी यशोदा, सुन सुन कान्हा
अबके मेरे घर भी आना
अंगना सूना आंखें सूनी
इनमें ख्वाब कोई भर जाना
कितना ढूंढू कित कित ढूंढू
कि‍धर छुपे हो मुझे बताना
ममता माखन लिए खड़ी है
आकर इसको अधर लगाना
मेरे कान हैं तरसे लल्ला
तू मुझको अम्मा कह जाना

Poem on Natkhat Krishna in Hindi : कान्हा कन्हैया नटखट चितचोर

जन्माष्टमी पर एक लघु प्रयास
कान्हा कन्हैया नटखट चितचोर
मैया के आँगन की शोभा बढ़ावे ।

शीश पे मोर पंखी का सुंदर ताज धर
सबके नैनो को बहुत सुख पहुँचावे ।

नन्हे नन्हे पाँवो से कर अठखेलियाँ
मुख पे माखन लगा श्याम इतरावे।

गली गली घूमत कान्हा मटकी फोड़त
गोपियो संग खूब रास लीला रचावे।

मैया यशोदा लेवे कान्हा की बलइयाँ
ग्वालो के संग ब्रज में करतब दिखावे ।

यमुना तट पे बंशी की मीठी तान बजा
मनमोहक आकर्षक रूप में खूब लुभावे।

गिरधारी तो है वृंदावन के रास रचैया
प्रिय राधा संग प्रेम की लीला रचावे।

अधर्म बुराई शत्रुओ का संहार कर
मुरारी पूरे जग के पालनहार कहलावे।

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कृष्ण की बाल लीला पर कविता | Janmashtami Poem in Hindi

देवकी ने जन्म दिया
यशोदा मैया ने पाला ,रे गोपाला ...
कारागृह में जन्म हुआ
वसुदेव का वो लाला ,रे गोपाला....

लीला करता नित्य नई वो
यशोदा मैया का लाला ,रे गोपाला...
माटी खाये ब्राम्हांड दिखाये
नटखट बड़ा है नंदलाला ,रे गोपाला...

माखन चुराता ग्वाल बाल संग
वंशी बजाने वाला, रे गोपाला...
धैनु चराता वन वन जाता
मुरली बजाने वाला ,ये गोपाला....

कृष्ण कन्हैया रास रचैया,
गोपियों के मन को हरने बाला,रे गोपाला...
गोपियो के वस्त्र चुराता सबक सिखाता,
ऐसा है वो ब्रजवाला,रे गोपाला......

जन्माष्टमी विशेष कविता : बांसुरी | Janmashtami Special Poem in Hindi : Bansuri

बांसुरी वादन से, खिल जाते थे कमल
वृक्षों से आंसू बहने लगते,
स्वर में स्वर मिलाकर, नाचने लगते थे मोर ।
गायें खड़े कर लेतीं थी कान,
पक्षी हो जाते थे मुग्ध,
ऐसी होती थी बांसुरी तान… ।
नदियां कल-कल स्वरों को,
बांसुरी के स्वरों में मिलाने को थी उत्सुक
साथ में बहाकर ले जाती थी, उपहार कमल के पुष्पों के,
ताकि उनके चरणों में, रख सके कुछ पूजा के फूल ।

ऐसा लगने लगता कि, बांसुरी और नदी मिलकर, करती थी कभी पूजा
जब बजती थी बांसुरी, घनश्याम पर बरसाने लगते, जल अमृत की फुहारें
अब समझ में आया, जादुई आकर्षण का राज
जो आज भी जीवित है, बांसुरी की मधुर तान में
माना हमने भी, बांसुरी बजाना पर्यावरण की पूजा करने के समान है,
जो कि‍ हर जीव में प्राण फूंकने की क्षमता रखती,
और सुनाई देती है कर्ण प्रिय बांसुरी ।

राधा कृष्ण कविता इन हिंदी | Poems on Krishna And Yashoda in Hindi

राधा कृष्ण कविता इन हिंदी | poems on krishna and yashoda in hindi: Janmashtami 2023 Poem in Hindi कृष्णा जन्मणाष्टमी हिन्दुओं धार्मिक पर्व है जो की हर वर्ष भादो माह की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि के दीन आता है | इस वर्ष जन्मणाष्टमी का पर्व 18 अगस्त 2023 को मनाया जायेगा | इस जन्मणाष्टमी के पावन पर्व पर हमने कुछ चुनिन्दा Janmashtami 2023 Poem in Hindi,जन्माष्टमी कविता अबके मेरे घर भी आना , बांसुरी वादन से, खिल जाते थे कमल , कान्हा, गोपाल की, जय कन्हैया लाल की, कान्हा के जन्म के वर्णन पर कविता का संग्रह लेकर आये है |

इन्हें आप आपने मोबाईल में डाउनलोड कर सेव कर सकते है और आपनी class में सुना सकते है | इसके अलावा आप श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता को अपने दोस्तों ,रिश्तेदारों को whatsapp, facebook ,instagram ,Tweter के माध्यम से सेंड कर सकते है |

जन्माष्टमी पर हिन्दी कविता : एक तुम्हीं तो हो कृष्ण

चल पड़े थे कई विचारों के मंथन संग,
बह गए थे अनजान एक बहाव से हम।
न आसमां दिख रहा, न जमीं दिख रही थी,
न ही एहसास कोई, न ही मन में कमी थी।

एक सूनापन छा गया सब ओर था,
तब यारों थे किंकर्तव्यविमूढ़ से हम।
क्या होता होगा सबके संग ऐसा कभी,
सोच-सोच अब भी घबरा-से गए हम।

फिर भी कैसी थी शक्ति व कैसी पिपासा,
ज्ञान के चक्षुओं में आस की एक लौ थी।
वो सपने सुनहरे भविष्य के हमने,
किस आस पर किस सहारे पे देखे।

वो शक्ति वो प्रेरणा आपकी थी,
एक हारे हुए मन का बल आपसे था।
ओ कान्हा! जब-जब मानव मन हारा,
तब-तब तुमने भरा जोश व दिया सहारा।

इन चक्षुओं की प्यास बन तुम आ गए,
गम के मारों के गम सभी पिघला गए।
टूटा था मन मेरा जोड़ दिया कान्हा,
आशा की इक ज्योत जला दी न।

किया मानव मन को कभी निराश,
तुमने काटा जीवन से नैराश्य वैराग्य।
रक्षण करते भक्तों का बंशी बजैया,
सकल विश्व में पूर्ण पुरुषोत्तम,
इक तुम ही तो हो मेरे कृष्ण-कन्हैया!

Janmashtami 2023 Poem in Marathi: कृष्णकळी राधा

अनुपम जगी
प्रीतीचा उगम
राधा आणि श्याम
जन्मोजन्मी...१

राधा कृष्णप्रिया
शाम मनोहारी
प्रीत संज्ञा न्यारी
जगामाजी...२

गंधी मोहरली
मृदू कृष्णकळी
कृष्णाची पाकळी
प्रेमोद्यानी...३

यमुनेच्या तीरी
मुरली मधूर
राधिका अधीर
भेटीसाठी... ४

प्रीती आणि भक्ती
अनोखा मिलाप
झडताती ताप
घेता नाम...५

सर्व पाश मुक्त
बंधन पवित्र
संसारास सूत्र
शिकविते...६

जगाच्या वेगळे
राधाकृष्ण बंध
हरीनामी धुंद
राधा नित्य...७

देही वेगळाले
एक चित्ती होती
समसामावती
एकमेका..८

जप "राधे राधे"
जाई कृष्णाठायी
सुख तुझे पायी
अविरत...९

एक श्वास ध्यास
राधेश्याम गाऊ
चला लीन होऊ
त्यांचे पायी...१०

सभी देवी-देवताओ पर शायरी फोटो डाउनलोड करने, पशु-पक्षियों जिव-जंतुओ व प्रकृति से मिलने वाले शुभ-अशुभ संकेतो और राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने वाले Events & Festival से सम्बंधित बधाई/शुभकामना सन्देश, शायरी FB Whatsapp Status Instagram Caption, Full HD Wallpaper Photo images DP Profile Pics इत्यादि डाउनलोड करने के लिए विजिट करे www.Rkalert.in पर | और सबसे पहले Shayari, Photo, Status डाउनलोड करने के लिए निचे दी गई Rkalert.in के सोशल मीडिया पेज को Follow व ग्रुप Join करे |

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