Shardiya Navratri 2023 Kalash Sthapana Shubh Muhurat, Vidhi, Mantra घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि मंत्र सहित

  • 14-10-2023
  • Anil Saini

Navratri Kalash Sthapana Shubh Muhurat 2023 Ghat Sthapana Ka Shubh Samay Muhurat 15 October Kalash Sthapana Shubh Muhurat Shubh Time Accha Muhurat Kalash Sthapana Ki Vidhi Pujan Vidhi Kalash Sthapana Ke Mantra घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि मंत्र सहित. हिंदू धर्म में नवरात्र का काफी अधिक महत्व है | क्योकि नवरात्रि में पुरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा पाठ किया जाता है | हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानि 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का आरंभ है | या नवरात्र का पहला दिन है | इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ कलश स्थापना की जाती है |

शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना का मुहूर्त 2023 Ghat / Kalash Sthapana Shubh Muhurat Pujan Vidhi

यदि आप भी अपने घरो या मोहल्लो में मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ नवरात्रि का आयोजन कर रहे है तो आपको कलश स्थापना का विशेष ध्यान रखना चाहिए | अगर कलश स्थापना सही समय में और सही तरीके से नहीं होता तो माता रानी की कृपा नहीं बरसेगी | इसलिए मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ कलश स्थापना सही व शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए | हमने निचे विद्वान पंडितो व ज्योतिषाचार्य द्वारा उल्लेखित Navratri 2023 Kalash Sthapana Shubh Muhurat, Vidhi, Mantra घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि मंत्र सहित पुरीं जानकारी दी है | तो आइये जानते है Kalash Sthapana Ka Shubh Muhurat Kya Hai, Kalash Sthapana Ki Puja Vidhi Mantra.

शारदीय नवरात्रि 2023 कब से शुरू शारदीय नवरात्रि 2023 तिथि (Shardiya Navratri 2023 Tithi)

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू - 14 अक्तूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट से
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त - 16 अक्तूबर की सुबह 01 बजकर 13 मिनट तक

शारदीय नवरात्रि 2023 घटस्थापना मुहूर्त (Shardiya Navratri 2023 Ghatsthapana Muhurat)

नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए कलश स्थापना की जाती है और फिर 9 दिनों तक लगातार देवी आराधना का पर्व मनाया जाता है | इस साल 15 अक्तूबर को शारदीय नवरात्रि शुरू होने जा रहा है और इस दिन सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक कलश स्थापना का सबसे अच्छा मुहूर्त है | शास्त्रों के अनुसार शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य और पूजा-अनुष्ठान हमेशा ही सफल होता है |

नवरात्रि कलश स्थापित करने की दिशा और स्थान

कलश स्थापना करते समय इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए की कलश स्थापना किस दिशा व स्थान पर करे | अगर आप कलश स्थापना कर रहे है तो ध्यान रखे कलश को उत्तर या फिर उत्तर पूर्व दिशा में रखें |

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कलश स्‍थापना विधि Navratri 2023 Kalash Sthapana Vidhi

  1. सबसे पहले घर में पूजा के स्‍थान की सफाई करें या फिर एक चौकी रखकर उस पर लाल रंग का वस्‍त्र बिछाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा रखें |
  2. जहां कलश बैठाना हो उस स्थान पर पहले गंगाजल के छींटे मारकर उस जगह को पवित्र कर लें |
  3. भगवान गणेश को याद कर पूजन कार्य प्रारंभ करें |
  4. दुर्गा के सामने उनके नाम की अखंड ज्योत जलाएं |
  5. मिट्टी का चौड़ा पात्र लेकर उसमें थोड़ी मिट्टी डालें, उसमें जौ के बीच डालें |
  6. एक कलश या घर के लोटे को अच्छे से साफ करके उस पर कलावा बांधें और स्वास्तिक बनाएं |
  7. कलश में गंगा जल डालकर पानी भरें. उसमें दूब, साबुत सुपारी, अक्षत और दक्षिणा डालें |
  8. इसके बाद कलश के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं और कलश को बंद करें |
  9. इसके ढक्कन के ऊपर अनाज भरें |
  10. नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर इसके ऊपर रखें |
  11. अब इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के बीचोबीच रख दें |
  12. इसके बाद सभी देवी देवताओं का आवाह्न करके माता के सामने व्रत का संकल्प लें और विधिवत पूजा शुरू करें |
  13. कलश स्‍थापना करने के बाद नौ दिनों तक इसे बिल्‍कुल न हिलाएं, लेकिन नियमित पूजन जरूर करें |

Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि पर कब और कैसे करें कलश स्थापना

Shardiya Navratri 2023 | शारदीय नवरात्र पूजन विधि | घटस्थापना मुहूर्त | Shardiya Navratri Pujan Vidhi

नवरात्र शांति कलश स्थापना विधि और मंत्र Navratri 2023 Kalash Sthapana Mantra

जिस स्थान पर कलश बैठ रहे हैं उस स्थान को दाएं हाथ से स्पर्श करते हुए बोलें

ओम भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं।
पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः।।

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कलश के नीचे सप्तधान बिछाने का मंत्र

ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा।
दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।

कलश स्थापित करने का मंत्र

अब जहां कलश रखना हो वहां यह मंत्र बोलते हुए कलश को स्थापित करें –

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।

स्थापित कलश में जल भरने का मंत्र

इस मंत्र को बोलते हुए कलश में पूरा जल भर दें।

ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।।

कलश में चंदन डालें

इस मंत्र से कलश में चंदन लगाएं।

ओम त्वां गन्धर्वा अखनस्त्वामिन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः।
त्वामोषधे सोमो राजा विद्वान् यक्ष्मादमुच्यत।।

कलश में सर्वौषधि डालने का मंत्र

ओम या ओषधी: पूर्वाजातादेवेभ्यस्त्रियुगंपुरा।
मनै नु बभ्रूणामह ग्वंग शतं धामानि सप्त च।।

कलश पर पल्लव रखने का मंत्र

ओम अश्वस्थे वो निषदनं पर्णे वो वसतिष्कृता।।
गोभाज इत्किलासथ यत्सनवथ पूरुषम्।।

कलश में सप्तमृत्तिका रखने का मंत्र

ओम स्योना पृथिवि नो भवानृक्षरा निवेशनी।
यच्छा नः शर्म सप्रथाः।

कलश में इस मंत्र से सुपारी रखें

ओम याः फलिनीर्या अफला अपुष्पायाश्च पुष्पिणीः।
बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व ग्वंग हसः।।

कलश में द्रव्य यानी सिक्का रखने का मंत्र

ओम हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्।
स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम।।

कलश पर इस मंत्र से वस्त्र लपेटें

ओम सुजातो ज्योतिषा सह शर्म वरूथमाऽसदत्स्वः ।
वासो अग्ने विश्वरूप ग्वंग सं व्ययस्व विभावसो।।

कलश पर चावल से भरा बर्तन रखने का मंत्र

ओम पूर्णा दर्वि परा पत सुपूर्णा पुनरा पत। वस्नेव विक्रीणावहा इषमूर्ज ग्वंग शतक्रतो।।
इस मंत्र को बोलते हुए कलश के ऊपर के एक मिट्टी के बर्तन में चावल भरकर रखें।

कलश पर नारियल रखने का मंत्र

इस मंत्र को बोलते हुए लाल वस्त्र में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित करें।

ओम याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः।
बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः।।

अब इन मंत्रों से कलश की पूजा करें।

ओम तत्त्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः।
अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुश ग्वंग स मा न आयुः प्र मोषीः।
अस्मिन् कलशे वरुणं साङ्गं सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि।
ओम भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण।
‘ओम अपां पतये वरुणाय नमः’

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