ऋषि पंचमी 2017 : इस बार ऋषि पंचमी का व्रत 26 अगस्त 2017 शनिवार अथार्थ भाद्रपद शुक्ल पंचमी को किया जायेगा | ऋषि पंचमी के दिन को त्योंहार नहीं बल्कि व्रत के रूप मैं मनाया जाता हैं | कहा जाता हैं की जाने अनजाने मैं जो स्त्री या पुरुष गलती या पाप क र बैठते हैं उनके लिए ऋषि पंचमी का व्रत करना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता हैं | ऋषि पंचमी का व्रत करने से महिला हो या परुष के पापो का नाश होता हैं अथार्थ ऋषि पंचमी का व्रत करने से इंसान पाप रहित और पवित्र हो जाता हैं | ऋषि पंचमी का व्रत करने वालों को गंगा स्नान जरुर करना चाहिए |
सप्तऋषियों की पूजा करके अपने पापों से पाए मुक्ति : पाप नाशक हैं ऋषि पंचमी का व्रत
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जाने अंजाने में सभी से कोई न कोई पाप हो ही जाता है। जैसे पांव पड़ने पर जीवों की हत्या, किसी को अपशब्द कहने से वाणी का पाप लगता है। किसी के हृदय को ठेस पहुंचाने से मानस पाप लगता है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसे पाप से कैसे मुक्ति पाई जाये। तो इसके लिए भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आती है ऋषि पंचमी। अंजाने में हुए पाप से मुक्ति तभी मिलती है जब ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाये। इस व्रत में सप्तऋषियों समेत अरुन्धती का पूजन होता है।
ऋषि पंचमी का व्रत कैसे करें ?
प्रातःकाल उठकर नदी या तालाब मैं स्नान कर साफ़ सुथरे कपड़े पहनें। फिर घर में ही किसी पवित्र स्थान पर पृथ्वी को शुद्ध करके हल्दी से चौकोर चौक पूरें। फिर उस पर सात ऋषियों की स्थापना करें। इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से सप्तऋर्षियों का पूजन करें। अब व्रत कथा सुनकर आरती कर प्रसाद बांटे। उसके बाद शाकाहार करे । इस प्रकार सात वर्ष तक व्रत करके आठवें वर्ष में सप्त ऋषियों की सोने की सात मूर्तियां बनवाएं। उसके बाद कलश स्थापन करके विधिपूर्वक पूजन करें।
अंत में सात गोदान तथा सात ब्राह्मण को भोजन करा कर उनका विसर्जन करे |
ऋषि पंचमी पूजा मुहर्त
सुबह 10:22 से 12:53
अवधि 2 घंटे 30 मिनट
ऋषि पंचमी पूजा विधि
भादों महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषी पंचमी का व्रत आता हैं । इस दिन महिलाये व्रत करती हैं । ऋषियों की पूजा करने के बाद कहानी सुनी जाती हैं ,उसके बाद एक समय फलाहार लेते हैं महिलाये जब माहवारी से होती हैं तब गलती से कभी मंदिर में चली जाती हैं या कभी पूजा हो वहाँ चली जाती हैं तो उसका दोष लगता हैं ।उस दोस को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता हैं ।इसी दिन बहने भी अपने भाइयो की सुख व लम्बी उम्र की कामना के लिए व्रत व् पूजा करती हैं ।कई जगह बहने भैया को राखी भी बाँधती है । हरी घास जो पांच तोड़ी की होती हैं ,उसे लेकर पांच भाई बनाते हैं व् एक बहन बनाते हैं ।भाई को सफेद कपड़े में व बहन को लाल कपड़े में लपेटते हैं । चावल बनाकर इन पर चढाते हैं ।फिर उसकी पूजा करते हैं व् कहानी सुनते हैं ।
ऋषि पंचमी व्रत कथा
एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था । एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने ऋषि पंचमी का व्रत करने की सोची ।इसके लिए उसने ऋषियों को भोजन के लिए आमंत्रण दिया । लेकिन दुसरे दिन वह माहवारी मैं हो गई ।उसने सोचा अब क्या करे ,वह अपनी पड़ोसन के पास गई और पुछा की मैं क्या करु ,मैंने तो आज ऋषियों को भोजन का न्योता दिया है और आज ही मैं माहवारी मैं आ गई | पड़ोसन ने कहा कि तू सात बार नहा ले और सात बार कपड़े बदल ले और फिर खाना बना ले । उसने ऐसा ही किया ।
ऋषि जब घर आए और ब्राहमण की पत्नी से पूछा” कि हम 12 वर्ष में आँख खोलते हैं भोजन में कोई आपत्ति तो नहीं हैं ” | ब्राहमण की पत्नी ने कहा “कि भोजन में कोई आपत्ति नहीं है ” आप आँख खोलिए ।ऋषियों ने जैसे ही आँख खोली तो देखा कि भोजन में लट कीड़े हैं ,यह देखकर उन्होंने ब्राहमण व् उसकी पत्नी को श्राप दे दिया । उनके श्राप के कारण अगले जन्म में ब्राहमण ने तो बैल का व उसकी पत्नी ने कुतिया के रूप में जन्म लिया ।दोनों अपने बेटे के यहाँ रहने लगे । बेटा बहुत धार्मिक था । एक दिन लडके के माता – पिता के श्राद्ध का दिन आया ,इसलिए उसने ब्राहमणों को भोजन पर बुलाया । यह देख बैल व् कुतिया बाते करने लगे की आज तो अपना बेटा श्राद कर रहा हैं ।खीर पुड़ी खाने को मिलेगी ।ब्राह्मन के बेटे की बहु खीर बनाने के लिए दूध चूल्हे पर चढ़ा कर अन्दर गई तो दूध में एक छिपकली का बच्चा गिर गया ।कुतिया यह देख रही थी । उसनें सोचा की ब्राहमण यह खीर खायेगें तो मर जायेगें और अपने बहु और बेटे को श्राप लगेगा । ऐसा सोचकर उसनें दूध कि भगोनी में मुहँ लगा दिया ।
बहु ने ये सब देख लिया ।उसे बहुत क्रोध आया ,उसनें चूल्हे की लकड़ी निकाल कर कुतिया को बहुत मारा । उसकी कमर टूट गई ।बहु ने उस दूध को फैका ,और दुबारा से रसोई बनाई व ब्राह्मणों को जीमाया ।बहु रोज़ कुतिया को रोटी देती थी ,पर उस दिन खाने को कुछ भी नहीं दिया ।रात को कुतिया बैल के पास गई ,और बोली आज तो मूझे बहु ने बहुत मारा मेरी कमर ही टूट गई और रोटी भी नहीं दी ।बैल बोला आज मैं भी बहुत भूखा हूँ ,आज मुझे भी खाने को कुछ नहीं मिल| | दोनों बातें कर रहे थे कि तुने पिछले जन्म में दूर की होने पर भी ऋषियों के लिए खाना बनाया था अत: उन्ही के श्राप के कारण हमे ये सब भुगतना पड़ रहा हैं ।वे दोनों जब ये बाते कर रहें थे ,तो उनके बेटे ने उनकी बाते सुन ली ।उसे अपने माता – पिता के बारे में ये सब सुन कर बहुत दु:ख हुआ ।उसने कुतिया को रोटी दी और बैल को चारा दिया ।दुसरे दिन वह ऋषयो के पास गया और अपने माता – पिता की मुक्ति का उपाय पूछा ।ऋषि बोले की भादवे की शुक्ल पक्ष की पंचमी को व्रत करना और अपने माता-पिता को ऋषियों के नहाये पानी से नहलाना ।उसने एसा ही किया और अपने माता-पिता को कुतिया बैल की योनी से मुक्ति करायी । इस प्रकार ऋषि पंचमी का व्रत महिलाओं को जरुर करना चाहिए |
ऋषि पंचमी स्नान करने का महत्व
ऋषि पंचमी के व्रत का मानव जीवन मैं बड़ा ही महत्व हैं | ऋषि पंचमी का व्रत ज्यादातर महिलाओं द्वारा किया जाता हैं | वैसे तो ऋषि पंचमी का व्रत लोगों को भी करना चाहिए ,यह व्रत करने से सभी दोष दूर हो जाते हैं | यह व्रत महिलाओं को खाश तोर पर करना चाहिए | क्योंकि महिलाओं के माहवारी आने पर वो अशुद्ध हो जाती हैं और इस समय मैं वो घर में खाना भी बनाती हैं गलती से कभी मंदिर में चली जाती हैं और घर का सारा काम करती हैं जिससे वो पाप की भागी बन जाती हैं इसलिए महिलाओं को अपने पापों को धोने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत अवश्य करना चाहिए |