Sakat Chauth Vrat Katha Kahani Puja Samagri Pooja Vidhi Aarti सकट चौथ की कथा पूजन सामग्री पूजा विधि

  • 09-01-2023
  • Anil Saini

Sakat Chauth Ki Kahani in Hindi Sakat Chauth Pooja Vidhi 2023 Sakat Chauth Puja Samagri in Hindi Sakat Chauth Aarti Udyapan Vidhi सकट चौथ की कथा पूजन सामग्री पूजा विधि : पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सक​ट चौथ मनाई जाती है | इसे सकंटा चौथ, तिलकुट चौथ, तिल चौथ, माघी चौथ, संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से भी जानते हैं | इस वर्ष 2023 में 10 जनवरी को सकट है | इस दिन महिलाएं अपने संतान की सुरक्षा और सुख समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती है और भगवन गणेश जी की पूजा करती है | सकट चौथ का पूर्ण फल पाने के लिए Sakat Chauth Vrat Katha Kahani Aarti सकट चौथ की कथा आरती अवश्य सुने |

Sakat Chauth Vrat Katha Kahani 2023 Sakat Chauth Puja Samagri Pooja Vidhi Aarti

माघ सकट चौथ व्रत का व्रत महिलाएं अपनी संतान की सलामती और लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इस दिन महिलाएं गौरा-गणेश भगवान की पूजा अर्चना करती हैं और पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए निर्जला व्रत करती हैं. और शाम की चांद और गणेश भगवान की पूजा के बाद व्रत खोलती हैं | अगर आप भी व्रत राख रही है और Sakat Chauth Vrat Katha Kahani Puja Samagri Pooja Vidhi Aarti की तलश में है तो आपको बतादे की हमने यहाँ Sakat Chauth Ki Kahani in Hindi Sakat Chauth Pooja Vidhi 2023 Sakat Chauth Puja Samagri in Hindi Sakat Chauth Aarti Udyapan Vidhi सकट चौथ की कथा पूजन सामग्री पूजा विधि के बारे में जानकारी दी है | आइए जानते हैं Sakat Chauth Vrat Katha Kahani Puja Samagri Pooja Vidhi Aarti.

Sakat Chauth Puja Samagri in Hindi सकट चौथ की पूजन सामग्री

  • गणेश जी की स्थापना के लिए लकड़ी की एक छोटी चौकी और उस पर बिछाने के लिए एक पीला वस्त्र.
  • गणेश जी को अर्पित करने के लिए पीला वस्त्र और एक जनेऊ.
  • Ganesh Ji के अभिषेक के लिए गंगाजल, लाल और पीले फूल.
  • दूर्वा की 21 गांठ और मोदक.
  • लड्डू, तिल के लड्डू, तिलकुट, तिल का खीर या अन्य पकवान.
  • चंदन, रोली, रक्षासूत्र, पान का पत्ता, सुपारी, अगरबत्ती, धूप, इत्र, अक्षत्, हल्दी, दीपक, गाय का घी, दही आदि.
  • कलश, कलश के लिए एक ढक्कन, आम का पत्ता, गौरी गणेश, गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर.
  • मौसमी फल, गाय का दूध (चंद्रमा को अर्पित करने के लिए), सकट चौ​थ व्रत कथा पुस्तक.
  • सकट चौथ पर ब्राह्मण के लिए दान की वस्तुएं पूजा के बाद पारण के लिए फल, मिठाई आदि.

Sakat Chauth Pooja Vidhi 2023 सकट चौथ की पूजा विधि

बहुत सी महिलाए यह जानने के लिए की Sakat Chauth Ka Vrat Kaise Rakhe, के लिए ऑनलाइन खोजते है की Sakat Chauth Udyapan Vidhi Sakat Chauth Vrat Udyapan Vidhi. इन्हें बतादे की हमने यहाँ Sakat Chauth 2023 Puja Vidhi बताई है | निचे आप Sakat Chauth Vrat Vidhi देख सकते है |

  • सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
  • स्नान के बाद गणपति की पूजा की तैयारी करें।
  • गणेश जी मूर्ति के नीचे पीले रंग का साफ वस्त्र बिछाएं।
  • मूर्ति को फूलों से सजा लें।
  • पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फल, फूल, ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन, केला और नारियल रख लें।
  • गणेश जी को रोली लगाएं। उन्हें फूल और जल अर्पित करें।
  • सकट चौथ के दिन गणपति को लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।
  • गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।
  • शाम के समय चांद निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनें।
  • पूजा समाप्त होने के बाद चांद के दर्शन करके व्रत खोल लें।
कहानी - 1 : [ Sakat Chauth Ki Kahani in Hindi / Sakat Chauth Ki Kahani ]

एक बुढ़िया थी | वह बहुत ही गरीब और दृष्टिहीन थीं | उसके एक बेटा और बहू थे | वह बुढ़िया सदैव गणेश जी की पूजा किया करती थी | एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले-

'बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले |'
बुढ़िया बोली- 'मुझसे तो मांगना नहीं आता | कैसे और क्या मांगू?'
तब गणेशजी बोले - 'अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले |'
तब बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा- 'गणेशजी कहते हैं 'तू कुछ मांग ले' बता मैं क्या मांगू?'
पुत्र ने कहा- 'मां! तू धन मांग ले |'
बहू से पूछा तो बहू ने कहा- 'नाती मांग ले |'

तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं | अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा- 'बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे | तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी जिंदगी आराम से कट जाए |'

इस पर बुढ़िया बोली- 'यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें |'

यह सुनकर तब गणेशजी बोले- 'बुढ़िया मां! तुमने तो हमें ठग लिया | फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा |' और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए | उधर बुढ़िया मां ने जो कुछ मांगा वह सबकुछ मिल गया | हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना |

सकट चौथ चौथ व्रत कथा |sakat chauth vrat katha/sankashti chaturthi vrat katha

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कहानी - 2 : [ Sakat Chauth Ki Kahani in Hindi / Sakat Chauth Mata Ki Kahani ]

किसी नगर में एक कुम्हार रहता था | एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका | परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला कि महाराज न जाने क्या कारण है कि आंवां पक ही नहीं रहा है | राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा | राजपंडित ने कहा, ''हर बार आंवां लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवां पक जाएगा |'' राजा का आदेश हो गया | बलि आरम्भ हुई | जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता | इस तरह कुछ दिनों बाद एक बुढि़या के लड़के की बारी आई |

बुढि़या के एक ही बेटा था तथा उसके जीवन का सहारा था, पर राजाज्ञा कुछ नहीं देखती | दुखी बुढ़िया सोचने लगी, ''मेरा एक ही बेटा है, वह भी सकट के दिन मुझ से जुदा हो जाएगा |'' तभी उसको एक उपाय सूझा | उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, ''भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना | सकट माता तेरी रक्षा करेंगी |''

सकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और बुढि़या सकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी | पहले तो आंवां पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवां पक गया | सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया | आंवां पक गया था और बुढ़िया का बेटा जीवित व सुरक्षित था | सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे | यह देख नगरवासियों ने माता सकट की महिमा स्वीकार कर ली | तब से आज तक सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है |

कहानी - 3 : [ Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi / Sakat Chauth Mata Ki Kahani ]

मां पार्वती एकबार स्नान करने गईं | स्नानघर के बाहर उन्होंने अपने पुत्र गणेश जी को खड़ा कर दिया और उन्हें रखवाली का आदेश देते हुए कहा कि जब तक मैं स्नान कर खुद बाहर न आऊं किसी को भीतर आने की इजाजत मत देना |

गणेश जी अपनी मां की बात मानते हुए बाहर पहरा देने लगे | उसी समय भगवान शिव माता पार्वती से मिलने आए लेकिन गणेश भगवान ने उन्हें दरवाजे पर ही कुछ देर रुकने के लिए कहा | भगवान शिव ने इस बात से बेहद आहत और अपमानित महसूस किया | गुस्से में उन्होंने गणेश भगवान पर त्रिशूल का वार किया | जिससे उनकी गर्दन दूर जा गिरी |

स्नानघर के बाहर शोरगुल सुनकर जब माता पार्वती बाहर आईं तो देखा कि गणेश जी की गर्दन कटी हुई है | ये देखकर वो रोने लगीं और उन्होंने शिवजी से कहा कि गणेश जी के प्राण फिर से वापस कर दें |

इसपर शिवजी ने एक हाथी का सिर लेकर गणेश जी को लगा दिया | इस तरह से गणेश भगवान को दूसरा जीवन मिला | तभी से गणेश की हाथी की तरह सूंड होने लगी. तभी से महिलाएं बच्चों की सलामती के लिए माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत करने लगीं

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