Satyanarayan Vrat Katha Aarti Puja Samagri Pujan Vidhi Vrat Vidhi सत्यनारायण भगवान व्रत की सम्पूर्ण कथा आरती पूजा विधि सामग्री
Satyanarayan Vrat Katha With Aarti Satyanarayan Vrat Vidhi Pujan Samagri Vidhi Bhagwan Satyanarayan Ki Katha Aarti Puja Vrat Vidhi सत्यनारायण भगवान व्रत की सम्पूर्ण कथा आरती पूजा विधि सामग्री : सत्यनारायण भगवान से मनवाछित फल पाने के लिए सत्यनारायण भगवान का व्रत व पूजा पूर्ण विधि - विधान के साथ किया जाना चाहिए | विद्वान पंडितो व ज्योतिषाचार्य द्वारा की जाने वाली Satyanarayan Vrat Katha Satyanarayan Vrat Aarti Satyanarayan Vrat Puja Samagri Satyanarayan Vrat Puja Vidhi की जानकारी यहाँ लेकर आये है | आप यहाँ बताई गई Satyanarayan Vrat Katha Aarti Puja Samagri Pujan Vidhi Vrat Vidhi से अपने व्रत को सफल बनाकर सत्यनारायण भगवान का कृपा पा सकते है |
Bhagwan Satyanarayan Vrat Ki Katha Puja Vidhi Samgru सत्यनारायण व्रत कथा आरती पूजन विधि
श्री सत्यनारायण व्रत का वर्णन देवर्षि नारद जी के पूछने पर स्वयं भगवान विष्णु ने अपने मुख से किया है की सत्य को नारायण के रूप में पूजना ही सत्यनारायण की पूजा है | इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है | सत्य में ही सारा जगत समाया हुआ है | सत्य के सहारे ही शेष भगवान पृथ्वी को धारण करते हैं | इसलिए सत्यनारायण भगवान की पूजा करना, पाठ करवाना व व्रत करना बेहद ही लाभदायक होता है | यहाँ से आप Satyanarayan Vrat Katha Satyanarayan Vrat Aarti Satyanarayan Vrat Puja Samagri Satyanarayan Vrat Puja Vidhi सत्यनारायण भगवान व्रत की सम्पूर्ण कथा आरती पूजा विधि सामग्री के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है |
Satyanarayan Vrat Samagri सत्यनारायण भगवान व्रत में पूजा के दौरान उपयोग की जाने वाली सामग्री
जो व्यक्ति (महिला/पुरुष) सत्यनारायण भगवान की पूजा करते है या व्रत करते है | उन्हें पूजा के समय कम आने वाली सामग्री का उपयोग अवश्य करना चाहिए | अगर आप नहीं जानते की Satyanarayan Vrat Samagri सत्यनारायण भगवान व्रत में पूजा के दौरान काम में ली जाने वाली सामग्री क्या है तो आप निचे Satyanarayan Vrat Puja Samagri List देख सकते है |
- धूपबत्ती
- कपूर
- केसर
- चंदन
- यज्ञोपवीत
- रोली
- चावल
- हल्दी
- कलावा
- रुई
- सुपारी
- 5 नग पान के पत्ते
- खुले फूल 500 ग्राम
- फूलमाला
- कुशा व दूर्वा
- पंचमेवा
- गंगाजल
- शहद
- शक्कर
- शुद्ध घी
- दही
- दूध
- ऋतुफल
- मिष्ठान्न
- चौकी
- आसन
- केले के पत्ते
- पंचामृत
- तुलसी दल
- कलश (तांबे या मिट्टी का)
- सफेद कपड़ा (आधा मीटर)
- लाल या पीला कपड़ा (आधा मीटर)
- दीपक 3 नग ( 1 बड़ा+2 छोटे )
- ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा)
- नारियल
- दूर्वा
Satyanarayan Vrat Puja Vidhi सत्यनारायण भगवान व्रत करने की विधि
बहुत से लोगो के मन में यह सवाल रहता है की Satyanarayan Ka Vrat Kaise Rakhte Hain Satyanarayan Vrat Kaise Kiya Jata Hai. अगर आप वास्तव में सत्यनारायण / सत्यभगवान की पूजा, व्रत विधि-विधान से करना चाहते है तो यहाँ विद्वान पंडितो व ज्योतिषाचार्य द्वारा अपनाने वाली Satyanarayan Vrat Puja Vidhi Satyanarayan Vrat Ki Vidhi का पालन करे | आइये देखते है - Satyanarayan Vrat Pujan Vidhi Satyanarayan Vrat Vidhi.
Satyanarayan Vrat Vidhi in Hindi
- इस दिन व्रत करने वाले उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए |
- उसके बाद सूर्यदेव को नमस्कार कर संकल्प लें कि मैं अपने सभी कष्टों को दूर करने के निमित्त और पापों से मुक्ति पाने के उद्देश्य से यह व्रत कर रहा हूं |
- घर के ब्रह्म स्थान पर केले के पौधों से मंडप बनाएं |
- अब पूजन के लिए बड़ी सी चौकी या पटा पर भगवान सत्यनारायण की फोटों या मूर्ति पीला या लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित कर दें |
- आसन के दाहिने ओर दीपक एवं बाई ओर बड़ा दीपक घी का स्थापित कर दें |
- आसन के बीच में नवग्रहों की स्थापना करें |
- अब स्वयं भी भगवान के आसन के ठीक सामने कुशा का आसन बिछाकर बैठ जायें |
- पहले गौरी गणेश और नवग्रहों का पूजन करें |
- इसके बाद सत्यनारायण भगवान् की पूजा करें उन्हें फल, पंचामृत, पंजीरी, वस्त्र और तुलसी दल जरूर अर्पित करें |
- फिर उनकी व्रत कथा कहें या सुनें और आरती करें |
- इसके बाद फल और प्रसाद बांटें |
- पूरा दिन निराहार रहकर सायंकाल में भगवान विष्णु का पूजन, अर्चन और स्तवन करें।
- इस दिन किसी योग्य पंडित से सत्यनारायण की कथा का श्रवण करना चाहिए।
- फिर भगवान शालिग्राम का अभिषेक, पूजन और अर्चन कर अपने सामर्थ्य के अनुसार दान आदि देना चाहिए।
Satyanarayan Vrat Vidhi PDF सत्यनारायण भगवान की व्रत पूजा विधि
Satyanarayan Vrat Katha Satyanarayan Bhagwan Vrat Katha Hindi Mein
आज कल सभी लोग मोबाइल लैपटॉप कंप्यूटर पर कथा, भजन सुनाने व पढने के शौक़ीन है | अगर आप भी Satyanarayan Ji Vrat Katha Satyanarayan Vrat Sampurna Katha खोज रहे है तो यहाँ से Satyanarayan Vrat Katha Hindi Mein Satyanarayan Vrat Katha Lyrics पढ़ सकते है | इस सत्यनारायण व्रत कथा को आप Satyanarayan Vrat Ki Katha SatyanarSayan Vrat Katha Fast Shri Satyanarayan Ji Vrat Katha सत्यनारायण की असली कथा PDF Satyanarayan Vrat Katha PDF Satyanarayan Vrat Katha Likhit Mein Satyanarayan Vrat Katha Youtube Per Satyanarayan Vrat Katha Likhi Hui Satyanarayan Vrat Katha Vidhi इत्यादि प्रकार से सर्च कर भी देख सकते है |
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Satyanarayan Vrat Katha Hindi Lyrics
एक बार योगी नारद जी ने भ्रमण करते हुए मृत्युलोक के प्राणियों को अपने-अपने कर्मों के अनुसार तरह-तरह के दुखों से परेशान होते देखा | इससे उनका संतहृदय द्रवित हो उठा और वे वीणा बजाते हुए अपने परम आराध्य भगवान श्रीहरि की शरण में हरि कीर्तन करते क्षीरसागर पहुंच गये और स्तुतिपूर्वक बोले, ‘हे नाथ! यदि आप मेरे ऊपर प्रसन्न हैं तो मृत्युलोक के प्राणियों की व्यथा हरने वाला कोई छोटा-सा उपाय बताने की कृपा करें |’ तब भगवान ने कहा, ‘हे वत्स! तुमने विश्वकल्याण की भावना से बहुत सुंदर प्रश्न किया है | अत: तुम्हें साधुवाद है | आज मैं तुम्हें ऐसा व्रत बताता हूं जो स्वर्ग में भी दुर्लभ है और महान पुण्यदायक है तथा मोह के बंधन को काट देने वाला है और वह है श्रीसत्यनारायण व्रत | इसे विधि-विधान से करने पर मनुष्य सांसारिक सुखों को भोगकर परलोक में मोक्ष प्राप्त कर लेता है |’
इसके बाद काशीपुर नगर के एक निर्धन ब्राह्मण को भिक्षावृत्ति करते देख भगवान विष्णु स्वयं ही एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में उस निर्धन ब्राह्मïण के पास जाकर कहते हैं, ‘हे विप्र! श्री सत्यनारायण भगवान मनोवांछित फल देने वाले हैं | तुम उनके व्रत-पूजन करो जिसे करने से मुनष्य सब प्रकार के दुखों से मुक्त हो जाता है | इस व्रत में उपवास का भी अपना महत्व है किंतु उपवास से मात्र भोजन न लेना ही नहीं समझना चाहिए | उपवास के समय हृदय में यह धारणा होनी चाहिए कि आज श्री सत्यनारायण भगवान हमारे पास ही विराजमान हैं | अत: अंदर व बाहर शुचिता बनाये रखनी चाहिए और श्रद्धा-विश्वासपूर्वक भगवान का पूजन कर उनकी मंगलमयी कथा का श्रवण करना चाहिए |’ सायंकाल में यह व्रत-पूजन अधिक प्रशस्त माना जाता है |
श्री सत्यनारायण की कथा बताती है कि व्रत-पूजन करने में मानवमात्र का समान अधिकार है | चाहे वह निर्धन, धनवान, राजा हो या व्यवसायी, ब्राह्मण हो या अन्य वर्ग, स्त्री हो या पुरुष | यही स्पष्ट करने के लिए इस कथा में निर्धन ब्राह्मण, गरीब लकड़हारा, राजा उल्कामुख, धनवान व्यवसायी, साधु वैश्य, उसकी पत्नी लीलावती, पुत्री कलावती, राजा तुङ्गध्वज एवं गोपगणों की कथा का समावेश किया गया है |
कथासार ग्रहण करने से यह निष्कर्ष निकलता है कि जिस किसी ने सत्य के प्रति श्रद्धा-विश्वास किया, उन सबके कार्य सिद्ध हो गये | जैसे लकड़हारा, गरीब ब्राह्मण, उल्कामुख, गोपगणों ने सुना कि यह व्रत सुख, सौभाग्य, संतति, संपत्ति सब कुछ देने वाला है तो सुनते ही श्रद्धा, भक्ति तथा प्रेम के साथ सत्यव्रत का आचरण करने में लग गये और फलस्वरूप इहलौकिक सुख भोगकर परलोक में मोक्ष के अधिकारी हुए |
साधु वैश्य ने भी यही प्रसंग राजा उल्कामुख से विधि-विधान के साथ सुना, किंतु उसका विश्वास अधूरा था | श्रद्धा में कमी थी | वह कहता था कि संतान प्राप्ति पर सत्यव्रत-पूजन करूंगा | समय बीतने पर उसके घर एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया | उसकी श्रद्धालु पत्नी ने व्रत की याद दिलायी तो उसने कहा कि कन्या के विवाह के समय करेंगे |
समय आने पर कन्या का विवाह भी हो गया किंतु उस वैश्य ने व्रत नहीं किया | वह अपने दामाद को लेकर व्यापार के लिए चला गया | उसे चोरी के आरोप में राजा चन्द्रकेतु द्वारा दामाद सहित कारागार में डाल दिया गया | पीछे घर में भी चोरी हो गयी | पत्नी लीलावती व पुत्री कलावती भिक्षावृत्ति के लिए विवश हो गयीं | एक दिन कलावती ने किसी विप्र के घर श्री सत्यनारायण का पूजन होते देखा और घर आकर मां को बताया | तब मां ने अगले दिन श्रद्धा से व्रत-पूजन कर भगवान से पति और दामाद के शीघ्र वापस आने का वरदान मांगा | श्रीहरि प्रसन्न हो गये और स्वप्न में राजा को दोनों बंदियों को छोडऩे का आदेश दिया | राजा ने उनका धन-धान्य तथा प्रचुर द्रव्य देकर उन्हें विदा किया | घर आकर पूर्णिमा और संक्रांति को सत्यव्रत का जीवन पर्यन्त आयोजन करता रहा, फलत: सांसारिक सुख भोगकर उसे मोक्ष प्राप्त हुआ |
इसी प्रकार राजा तुङ्गध्वज ने वन में गोपगणों को श्री सत्यनारायण भगवान का पूजन करते देखा, किंतु प्रभुता के मद में चूर राजा न तो पूजास्थल पर गया, न दूर से ही प्रणाम किया और न ही गोपगणों द्वारा दिया प्रसाद ग्रहण किया | परिणाम यह हुआ कि राजा के पुत्र, धन-धान्य, अश्व-गजादि सब नष्ट हो गये | राजा को अकस्मात् यह आभास हुआ कि विपत्ति का कारण सत्यदेव भगवान का निरादर है | उसे बहुत पश्चाताप हुआ | वह तुरंत वन में गया | गोपगणों को बुलाकर काफी समय लगाकर सत्यनारायण भगवान की पूजा की | फिर उसने उनसे ही प्रसाद ग्रहण किया तथा घर आ गया | उसने देखा कि विपत्ति टल गयी और उसकी सारी संपत्ति तथा जन सुरक्षित हो गये | राजा प्रसन्नता से भर गया और सत्यव्रत के आचरण में निरत हो गया तथा अपना सर्वस्व भगवान को अर्पित कर दिया |
श्री सत्यनारायण व्रत से हमें शिक्षा मिलती है कि सत्यरूप ब्रह्म जीवात्मा रूप में हमारे अंदर विद्यमान है | हम सब सत्य के ही स्वरूप हैं, पर माया के वश में आकर नष्ट होने वाली वस्तुओं को संग्रह करने की सोचकर संसार में मग्न हो रहे हैं | इस अज्ञान को दूर करके सत्य को स्वीकार करना और प्रभु की भक्ति करना ही मानव का धर्म है | यही सत्यनारायण व्रत और कथा का सार है |
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Satyanarayan Vrat Aarti सत्यनारायण भगवान की आरती
सत्यनारायण व्रत कथा सुनने के बाद सत्यनारायण भगवान की आरती जरुर करने करनी चाहिए |
श्री सत्यनारायणजी की आरती
जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥ जय लक्ष्मी... ॥
रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे ।
नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥ जय लक्ष्मी... ॥
प्रकट भए कलि कारण, द्विज को दरस दियो ।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥ जय लक्ष्मी... ॥
दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।
चंद्रचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी ॥ जय लक्ष्मी... ॥
वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्हीं ॥ जय लक्ष्मी... ॥
भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्यो ।
श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो ॥ जय लक्ष्मी... ॥
ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों, दीन दयालु हरि ॥ जय लक्ष्मी... ॥
चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा ।
धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥ जय लक्ष्मी... ॥
सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे ।
तन-मन-सुख-संपति मनवांछित फल पावै॥ जय लक्ष्मी... ॥
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