हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने
तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने
तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला
बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने
वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली
इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली
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मत रख हमसे वफा की उम्मीद ऐ सनम
हमने हर दम बेवफाई पायी है
मत ढूंढ हमारे जिस्म पे जख्म के निशान
हमने हर चोट दिल पे खायी है
क्या जानो तुम बेवफाई की हद दोस्तों
वो हमसे इश्क सीखती रही किसी ओर के लिए
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यूँ है सबकुछ मेरे पास बस दवा-ए-दिल नही,
दूर वो मुझसे है पर मैं उस से नाराज नहीं,
मालूम है अब भी मोहब्बत करता है वो मुझसे,
वो थोड़ा सा जिद्दी है लेकिन बेवफा नहीं
बिखरे हुए दिल ने भी उसके लिए फरियाद मांगी
मेरी साँसों ने भी हर पल उसकी ख़ुशी मांगी
जाने क्या मोहब्बत थी उस बेवफ़ा में
कि मैंने आखिरी फरियाद में भी उनकी वफ़ा मांगी
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी
ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करना
मेरे भरोसे को रुस्वा न करना
दिल में तेरे कोई और बस जाये तो बता देना
मेरे दिल में रहकर बेवफाई न करना
जो भी मिला वो हम से खफा मिला
देखो दोस्ती का क्या सिला मिला
उम्र भर रही फ़क़त वफ़ा की तलाश
पर हर शख्स मुझको बेवफ़ा मिला
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वो निकल गए मेरे रास्ते से इस कदर कि
जैसे कि वो मुझे पहचानते ही नहीं
कितने ज़ख्म खाए हैं मेरे इस दिल ने
फिर भी हम उस बेवफ़ा को बेवफ़ा मानते ही नहीं
हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है
हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है
तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग
हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है
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अगर दुनिया में जीने की चाहत न होती
तो खुदा ने मोहब्बत बनायी न होती
इस तरह लोग मरने की आरजू न करते
अगर मोहब्बत में किसी की बेवफाई न होती
तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी
बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी