किसान कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को ओर सक्रिय बनाने बनाने के लिए हालही में प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया की 23 फरवरी को पगड़ी संभाल दिवस मनाएंगे | अगर आप किसानो के समर्थन में है या किसान आन्दोलन में अपनी भागीदारी निभा रहे है तो 23 फरवरी को मनाये जाने वाला पगड़ी संभाल दिवस पर इन शायरी फोटो स्टेटस Pagdi Sambhal Diwas Shayari Quotes Pagdi Sambhal Diwas Photo images Pictures HD Wallpaper Pagdi Sambhal Diwas FB Whatsapp Instagram Status Video को सोशल मीडिया पर शेयर या पोस्ट कर इस आन्दोलन को ओर भी सक्रिय बना सकते है |
Kisan Aandolan Pagdi Sambhal Jatta Shayari Status
Hal Chalaya Tune Oye Tune Fasal Ugaayi
Kaise Koi Le Jayega Yeh Hai teri kamai
Tod Gulami Ki Zanjeerein Be Bas Hona Aise
Tu hai Bharat Maa Ka Beta Bhool Gaya Yeh Kaise
Nahi Tu Akela Assi Sare Tere Naal Oye
Pagdi Sambhal Jatta Pagdi Sambhal Oye
*********
ये तेरा ताज नहीं है हमारी पगड़ी है
ये सर के साथ ही उतरेगी सर का हिस्सा है
पूछता क्या है तू उसकी दस्तार की कीमत
जान की बाजी लगा दी उसने अपनी इज्जत इ दस्तार की खातिर
किसी ने कहा डरते हो
उन्हें कैसे बताऊ डर भी घबरा उठता है
जब ये शेर पगड़ी बांधे निकलता है
हलके में न लेना मुझे शेर के घर में जन्मा हूँ
ना किसी को झुकाता हूँ और ना ही किसी से झुकता हूँ
और करोडो में हमारी झलक अलग ही नजर आती है
कोई टोपी तो कोई पगड़ी बेच देता है
मिले अच्छा भाव तो जज कुर्सी बेच देता है
**********
राजस्थान भाषा म्हारो स्वाभिमान
बांकडली मुछ्या अर पगड़ी म्हारी शान
सजा दो तन पे आज तिरंगा
तिरंगे में रंग जाना है
पगड़ी केसरी, सफ़ेद कुर्ता
गमछा हरा लहराना है
निलो निलो दरिया से
अशोक चक्र सजाना है
मैं तो मस्त मलंग सिपाही
तिरंगे से है पहचान
इतना जानो इतना समझो
इसमें ही है मेरी जान
मुझे हर रोज खुद को बदलना है
अंधकार को उजाले में बदलना है
जो बात करते है आज पायदानों की
मेरे को उन्हें के सिर की पगड़ी बनना है
**********
है वो पगड़ी मेरे सर की, स्वाश मेरे तन की
है जो मेरी बेटी पराये घर की, वो तुलसी है मेरे आँगन की
किसी ने कहा डरती हूँ, डर भी घबरा उठता है
जब ये शेरनी पगड़ी बांधे निकलती है
हलके में न लेना मुझे शेर के घर में जन्मी हूँ
न किसी को झुकाती हूँ न झुकती हूँ
करोडो में हमारी झलक अलग ही नजर आती है
उछालो ना पगड़ी किसी की दौलत के खातिर
बड़ी शिद्तसे यह संभाली
बेटी के उपकार
होते खुशियों के
इसे दहेज़ का नाम ना दो
क्योकि रिश्ते बिकते नहीं बनाये जाते है
ख़रीदे नहीं जाते, निभाए जाते है