राजस्थान में विधानसभा सत्र में कौंग्रेस विधायकों के निलंबन के संदर्भ में

राजनीतिक न्यूज़ रिपोर्ट लिखिए, कांग्रेस विधायकों का विधानसभा में धरना जारी, सदन में गुजारी रात. फरवरी 2025 में राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया, जब राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत की टिप्पणी के बाद सदन में तीव्र विवाद उत्पन्न हुआ। इस विवाद ने न केवल सदन की कार्यवाही को बाधित किया, बल्कि कांग्रेस के छह विधायकों के निलंबन तक की स्थिति उत्पन्न कर दी।

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विवाद की शुरुआत:

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21 फरवरी 2025 को प्रश्नकाल के दौरान मंत्री अविनाश गहलोत ने कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास संबंधी सवाल का उत्तर देते समय विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, “2023-24 के बजट में भी आपने हर बार की तरह अपनी ‘दादी’ इंदिरा गांधी के नाम पर इस योजना का नाम रखा था।” इस टिप्पणी को कांग्रेस विधायकों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रति असम्मानजनक माना और तत्काल आपत्ति जताई। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मंत्री से माफी की मांग की और टिप्पणी को कार्यवाही से हटाने की अपील की। जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और आसन के सामने आ गए, जिससे सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी।

विधायकों का निलंबन:

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सदन की कार्यवाही पुनः शुरू होने पर, सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, रामकेश मीणा, अमीन कागजी, जाकिर हुसैन, हाकम अली और संजय कुमार सहित छह कांग्रेस विधायकों के निलंबन का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हुआ, और इन विधायकों को बजट सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया।

विरोध प्रदर्शन:

निलंबन के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में धरना दिया और पूरी रात वहीं बिताई। उन्होंने कंबल, गद्दे, चादर और तकिए के साथ विधानसभा को ही अपना आशियाना बना लिया। उनकी मुख्य मांग थी कि निलंबन वापस लिया जाए और मंत्री अविनाश गहलोत अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगें।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ:

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बिना वजह इंदिरा गांधी का नाम घसीटा गया बहस में… इंदिरा जी ने देश के लिए कुर्बानी दी, भारत रत्न मिला उन्हें… सत्ता पक्ष के लोग विपक्ष को भड़का रहे हैं।” उन्होंने विधायकों के निलंबन को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ बताया और इसे सत्ता पक्ष की असफलताओं को छिपाने का प्रयास करार दिया।

गतिरोध और समाधान:

विधानसभा में उत्पन्न गतिरोध को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पहल की। उन्होंने पक्ष और विपक्ष के विधायकों के साथ बैठक की, जिसके बाद गतिरोध खत्म करने पर सहमति बनी। मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को भी मनाया, जो अपने खिलाफ की गई टिप्पणी से आहत थे। इसके परिणामस्वरूप, 27 फरवरी 2025 को विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के छह विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया, जिससे सदन की कार्यवाही पुनः सुचारू रूप से चल सकी।

विधानसभा अध्यक्ष की चेतावनी:

निलंबन रद्द करते समय विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन में अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में यदि कोई विधायक सदन की मर्यादा का उल्लंघन करेगा, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सभी सदस्यों से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की।

निष्कर्ष:

यह घटनाक्रम राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संवाद और सहयोग की आवश्यकता को उजागर किया। साथ ही, इसने यह भी दर्शाया कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में मर्यादा और अनुशासन कितना महत्वपूर्ण है, ताकि जनता के मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो सके और लोकतंत्र की मूल भावना बनी रहे।

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