22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है | वही दूसरी ओर राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी भी जोर-शोर से चल रही है | श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से मिली जानकारी के अनुसार राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 16 जनवरी से 22 जनवरी तक धार्मिक अनुष्ठान होंगे | इसके बाद 22 जनवरी से लेकर 25 मार्च तक कई खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा | इनमे सबसे प्रमुख व महत्वपूर्ण दिन है 22 जनवरी 2024 का | क्योकि इसी दिन भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी | और इस मौके पर कई संत, महात्मा और जिन भक्तों ने राम मंदिर के लिए संघर्ष किया वो सभी अयोध्या पहुंचेंगे |
Ram Lala Pran Pratishtha Karyakram
- 16 जनवरी- इस दिन से रामलला के विग्रह के अधिवास का अनुष्ठान भी शुरू हो जाएगा |
- 17 जनवरी- इस दिन से रामलला की प्रतिमा को नगर भ्रमण के लिए निकाला जाएगा |
- 18 जनवरी- इस दिन से प्राण-प्रतिष्ठा की विधि आरंभ होगी. मंडप प्रवेश पूजन, वास्तु पूजन वरुण पूजन, विघ्नहर्ता गणेश पूजन और मार्तिका पूजन होगा |
- 19 जनवरी- राम मंदिर में यज्ञ अग्नि कुंड की स्थापना की जाएगी. खास विधि द्वारा अग्नि का प्रज्वलन होगा |
- 20 जनवरी- राम मंदिर के गर्भगृह को 81 कलश, जिसमें अलग-अलग नदियों के जल इक्ट्ठा किए हैं उनसे पवित्र किया जाएगा. वास्तु शांति अनुष्ठान होगा |
- 21 जनवरी- इस दिन यज्ञ विधि में विशेष पूजन और हवन के बीच राम लला का 125 कलशों से दिव्य स्नान होगा |
- 22 जनवरी- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इस दिन मध्यकाल में मृगशिरा नक्षत्र में रामलला की महापूजा होगी |
हिन्दू धर्म में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है | क्योकि बिना प्राण प्रतिष्ठा के कोई भी मूर्ति पूजा के योग्य नहीं मानी जाती है | बतादे की प्राण शब्द का अर्थ जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा का अर्थ स्थापना होता है | इसलिए मूर्ति स्थापना के समय शुभ मुहूर्त मे प्राण प्रतिष्ठा कर कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं | सरल शब्दों में समझा जाए तो किसी भी मूर्ति की स्थापना के समय उस प्रतिमा रूप को जीवित करने की विधि प्राण प्रतिष्ठा कहलाती है | मान्यता है कि प्राण प्रतिष्ठा के जरिए मूर्ति में जीवन शक्ति का संचार होता है और वह मूर्ति देवता के रूप में बदल जाती है | और मूर्ति पूजा के योग्य बन जाती है |
- प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे पहले प्रतिमा को गंगाजल या किसी भी पवित्र नदियों के जल से स्नान करा कर उसे स्वच्छ कर लिया जाता है |
- इसके बाद किसी स्वच्छ वस्त्र से मूर्ति को पोछकर उसे नए वस्त्र पहनाए जाते हैं |
- इसके बाद प्रतिमा को शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर विराजित किया जाता है |
- उस पर चंदन का लेप लगाकर उसका श्रृंगार किया जाता है |
- इसके बाद बीज मंत्रों का पाठ कर प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान किया जाता है |
- इपंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान की पूजा की जाती है |
- अंत में आरती के बाद लोगों में प्रसाद वितरित किया जाता है |